बांका में मधुमक्‍खी पालन से बढ़ेगी जीव‍िका दीदियों की आमदनी

बांका में जीविका दीदियां अब मधुमक्खी पालन के व्यवासाय से जुड़ रही हैं। इसके लिए उद्यान विभाग की ओर से इन दीदियों को अनुदानित दर पर बाक्स उपलब्ध कराया जा रहा है। इसे वह लोग बाग-बगीचों में लगाएंगी और शहद तैयार करेंगी।

बिहार के बांका जिला के किसानों का रुझान अब धीरे-धीरे परंपरागत खेती की जगह बागवानी और जैविक खेती की तरफ हो रहा है. इसमें भी बांका के किसान अब बड़े स्तर पर मधुमक्खी पालन करने लगे हैं. मधुमक्खी पालन के जरिए किसान कम लागत में बेहतर मुनाफा कमा रहे हैं. बांका जिला के रजौन प्रखंड अंतर्गत नीमा गांव निवासी रितेश कुमार सिंह भी समेकित कृषि प्रणाली के तहत मौसम अनुकूल खेती करते हैं. जिसमें मधुमक्खी पालन को भी महत्वपूर्ण फसल के रूप में हीं मानते हुए शहद उत्पादन कर रहे हैं.

इस समय में खेतों में सरसों की फसल लगी हुई होती है. यह मधुमक्खी पालन का आदर्श समय माना जाता है. मधुमक्खी पालन से किसानों को दोहरा फायदा यह है मधुमक्खी से सरसों में परागन की क्रिया तेजी से होती है और दूसरा किसानों से पर्याप्त मात्रा में शहद भी मिल जाता है. आम और लीची के समय में भी मधुमक्खी से बेहतर शहद उत्पादन किया जा सकता है.रितेश कुमार ने बताया कि 2021 से मधुमक्खी पालन कर रहे हैं. मधुमक्खी पालन के साथ समेकित कृषि प्रणाली के तहत अन्य फसलों की भी खेती भी करते हैं. उन्होंने बताया कि इटालियन प्रजाति का 100 बी बॉक्स में मधुमक्खी पालन कर रहे हैं. इस बी बॉक्स की कीमत 3800 रूपए है. लेकिन सरकार इस पर अनुदान देती है. उद्यान विभाग द्वारा सामान्य वर्ग के लोगों को 950 रूपए एवं एससी-एसटी वर्ग के लोगों को 350 रुपए में यह बॉक्स मुहैया करा दिया जाता है.

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