गोपालगंज जिला का इतिहास

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गोपालगंज जिला की स्थापना २ अक्टूबर १९७३ को किया गया। पहले यह सारण जिला का एक छोटा शहर हुआ करता था जो कि १८७५ में अनुमंडल बना। गंडक नदी के पश्चिम तट पर बसे इस जिले के इतिहास को देखे तो ये मध्यकाल में चेरो राजाओं और अंग्रेजो के समय ये हतवा राजा का अधीन रहा हे । बिहार के सबसे प्रसिद्ध मुख्यमंत्री ऐबों रेलमंत्री लालू यादव का ये गृह जिला आपने ऐतिहासिक धार्मिक ऐबों सांस्कृतिक पहचान के लिए जाना जाता हे ।

 तो आइए जानते हैं गोपालगंज के मुख्य पर्यटक स्थलों के बारे में ।

2.1 थावे मां दुर्गा मंदिर गोपालगंज । Thawe Maa Durga Mandir Gopalganj

Places to visit in Gopalganj District

थावे मंदिर गोपालगंज का सबसे प्रसिद्ध पर्यटक स्थल माना जाता हे । कहा जाता हे की यहाँ स्तित दुर्गा मंदिर को हतवा राजा ने बनाया था । इस मंदिर के नजदीक एक क्रॉस के आकार का बिसाल पेड़ हे जो की अभीतक बनस्पतिक बर्गीकरण आज तक नहीं किया जा सका हे । मंदिर के बारेमे एक बहत प्रचलित जनश्रुति हे की याहं रहसु नाम के माँ दुर्गा के एक सच्चे भक्त रहते थे जिन्हे वहां के राजा बरन सिंह ने ढोंगी बताते हुए माँ दुर्गा को बुलाने के लिए चुनौती दिया ।

रहसु ने राजा को बिनती की अगर देवी यहां आएगी तो राज्य बर्बाद हो जायेगा परन्तु राजा ने अपना हैट नहीं त्यागा अंत में बिबस हो कर रहसु देवी के प्राथना में लीन होगये थे । उनके बुलाबे पर देवी कामाख्या से चलकर कोलकाता , पटना और आमी होते हुए थावे पहुंचे ।

देवी के पहुँच ते ही राजमहल के समस्त भवन गिर गया और राजा का भी मौत होगयी उसी समय से देवी ने जहां दरसन दिए थे वहां एक भब्य मंदिर हे जो माता थावे मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हे ।

रहसु भगत मंदिर गोपालगंज । Rahsu Bhagat Temple Gopalganj

मान्यता ये हे की जो लोग माता थावे बलि के दरसन के लिए आते हैं वो रहसु भगत के मंदिर में भी जरूर जाते हैं इसके बिना उनकी पूजा अधूरी रह जाएगी मानी जाती हे । इस मंदिर के समीपी बार्न सिंह का भवन आज भी मजूद हे ।

श्री पीताम्बरा पीठ । Shri Pitambara Peeth Gopalganj

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महर्षि शिवानंद परमहंस द्वारा स्तापित ये मंदिर पीताम्बरा के नाम से इसलिए प्रसिद्ध हे क्युकी हर चीज़ इनको पीला पसंद हे जैसे इनका बस्त्र पीला हे , इनका प्रसाद पीला और इन्हे पीला रंग के फूल चढ़ाये जाते हे इसलिए इनका नाम पीताम्बरा हे और इन्हे बगलामुखी भी काहा जाता हे । बगलामुखी माता की पूजा अर्चना करने से समस्त भक्तों के ऊपर माता के बड़े कृपा होती हे और जो लोग निष्ठा पुर्बक इनकी भक्ति से आदर पुर्बक इनके पूजा पाठ करते हैं तो माता उनके समस्त शत्रुओं का नास होता हैं इसलिए इनका नाम बगलामुखी पड़ता हे ।

  • जाने का समय – 5:00 am to 8:00 pm
  • टिकट – Free
  • पता – NH-28 , Near Anand Petrol Pump , Kuchaikote , Bihar 841501

2.4 दिघवा दुबौली । Dighwa-Dubauli Gopalganj

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दिघवा दुबौली एक गाओं हे और यहाँ पिरामिड के आकार के 2 टीला हे ऐसा काहा जाता हे की इनमे से प्रत्येक टीला एक पिरामिड आकार का हे जो की गोपालहंज से तक़रीबन 40 km दुरी पे पड़ता हे । काहा जाता हे की ये टीले चेरो चाय की कीर्तियाँ हे चेरो मतलब यहाँ का एक जन जाती हे जो अब गंगा के दखिन पहाडिओ में निबास करते हैं ।

लोग पिरामिड को देखने के लिए इजिप्ट जाते हैं पर हमारे देश के एक राज्य के छोटे से जिल्ला गोपालगंज में पिरामिड मजूद हे । यहाँ भी लोग दूर दूर से इन पिरामिड को देखने आते हैं ।

हुसेपुर । Husepur Gopalganj

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हुसेपुर गोपालगंज से तक़रीबन 24 km दुरी पे पड़ता हे । ऐतिहासिक रूप से इस गाओं का भी काफी महत्व हे क्युकी यहाँ हत्वा राजाओ के द्वारा बनाया गया किला आज भी मजूद हे और इस किल्ले की पूर्ब में 14 छोटे छोटे टीले हैं जो उस स्थान को दर्शाता हे जहाँ उस परिवार के एक सदस्य बसंतई का पत्नी ने आपने 13 दसियों के साथ मूर्त पति का सर गोद में पकड़ कर आत्म दाह कर लिया था । हत्वा परिवार के सदस्य आज भी उस टीले का पूजा करते हैं

लकड़ी दरगाह । Lakdi Dargah Goaplganj

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लकड़ी दरगाह गोपलगंज से लगभग 14 km की दुरी पे पड़ता हे जैसा की नाम से पता चल रहा हे इसका नाम एक मुस्लिम मकबरे से लिया गया हे । मकबरा शाह अरजन नाम का एक मुसलमान संत का हे जो की पटना के रहने वाले थे ।

ऐसा काहा जाता हे की वो उस जगह के एकांत से आकर्षित थे और उन्होंने 40 दिनों का एक धार्मिक चिंतन किये थे और उन्होंने एक धार्मिक प्रतिष्ठान भी स्तापित किये थे जिसे सम्राट औरंगजेब ने सम्पर्न किये थे । संत की मुर्त्यु की सालगिरा हर साल रबी उनसानी की एगरहबी तारिक को मनाई जाती हे जो एक बड़ी भीड़ को आकर्षित करति हे

हथुआ राज l Hathua Raj Gopalganj

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हथुआ राज गोपालगंज से लगभग 20 km की दुरी पे स्तित हे । पुराने ज़माने में गोपालगंज जिल्ला हथुआ राज के अंतर्गत आता था जहां आज भी आपको हथुआ के राजा द्वारा बनाया गया पुराना किल्ला , पैलेस , सीस महल , सुरंग , गोपाल मंदिर आज भी देखने को मिलता हे ।

हथुआ जाने के बाद आप यकीन मानिये आपको राजा महाराजा की ठाटबाट की झलकियां आज भी देखने के लिए मिलेंगी और आज भी हथुआ राज हथुआ के उत्तराधिकारी की देख रेख में हे जिनके पास आज भी अंग्रेजो के ज़माने की गाडिओं का कलेक्शन हे ।

भोरे गोपालगंज । Bhore Gopalganj

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भोरे गोपालगंज के जिले का एक प्रखंड हे जहाँ सीवाला और राम गड दो जगह हे । सीवाला में भगबान शिव का एक प्रसिद्ध मंदिर हे और राम गड के बारे में ये कहा जाता हे की यहाँ महाभारत काल में राजा वुरीसाबा की राजधानी थी और राजा वुरीसाबा ने महाभारत के युद्ध में कौरब के चौदाबी सेनापति थे । इस स्थान पर खुदाई करने पर आज भी मेहेलो के प्राचीन भग्नाबसेस मिलती हे । ऐसी मान्यता हे की राजा वुरीसाबा के नाम पर इस स्थान का नाम भोरे पड़ा हे।

गोपाल मंदिर । गोपाल Mandir Gopalganj

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हथुआ के गोपाल मंदिर के सामने एक तालाब हे और ऐसा कहा जाता हे की महारानी राज महल से सुरंग के द्वारा तालाब तक पहुँच के नाहाने के बाद गोपाल मंदिर में पूजा करती थी । तालाब के पास वो सुरंग आज भी मजूद हे और कई लोगो का तो ये भी कहना हे की गोपालगंज का नाम इसी गोपाल मंदिर के नाम पर रखा गया था ।

हनुमान मंदिर । Hanuman Mandir Gopalganj

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हनुमान मंदिर गोपालगंज से लगभग 16 km दूर बेलबनबा कुचायकोट में स्तित हे । ये मंदिर गोपालगंज का सबसे उचा मंदिर हे जिसकी उचाई लगभग 100 ft का हे इसे भी देखने के लिए दूर दूर से लोग घूमने आते हैं । दोस्तों आपको बतादे जब इस मंदिर का निर्माण हो रहा था तो इस मंदिर का निर्माण कार्य को गोरखपुर एयरफोर्स बिभाग बाधित किया था क्युकी इस मंदिर की उचाई काफी ज्यादा हो रहा था । अगर आप गोपालगंज जा रहे हो तो इस जगह पर जरूर जाएँ ।

सबेया हवाई अड्डा । Sabeya Hawai Adda Gopalganj

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ये एयरपोर्ट इसलिए फेमस हे क्युकी यहाँ पर आज के समय किसी भी फ्लाइट का जातयत नहीं होता हे इसलिए आप वहां जाकर पिकनिक मना सकते हो । इसे डिफेन्स मीनिस्टरी ऑफ़ ब्रिटिश इंडिया गवर्नमेंट यानि अंग्रेजो द्वारा हथुआ राज के माध्यम से 1868 में बनाया गया था जो की 517 एकर्स में फैला हुआ हे ।

सबेया हवाई अड्डा डिफेन्स के लिए काफी संबेदनशील हे क्युकी ये चाइना बॉर्डर के करीब हे इसलिए इस एयरपोर्ट उपोयग World War 2 में ब्रिटिश एयरफोर्स और ब्यक्तिगत उपयोग के लिए हथुआ राज के साही परिवार द्वारा किया जाता था ।

वो कहते हैं ना अंग्रेजो द्वारा बनाये गए पूल आज भी मजबूती के साथ खड़े हे लेकिन आज की इस आधुनिक युग में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके बनाया गया पूल उद्घाटन से पहले टूट जाता हे लेकिन सबेया एयरपोर्ट का रनवे इतने सालो बाद भी सही सलामत मिलेगा आप चाहें तो सबेया एयरपोर्ट जाकर घूम सकते हो ।