अमावा राम मन्दिर ने राम लला को दिया सोने का तीर-धनुष, जानें महावीर मन्दिर से मिले कितने करोड़...

Total Views : 17
Zoom In Zoom Out Read Later Print

अयोध्या में रामलला के मन्दिर निर्माण में सहयोग के तौर पर 10 करोड़ रुपये देनेवाला महावीर मन्दिर देश का पहला संस्थान है. इसके साथ ही अमावा राम मन्दिर की ओर से सोने का तीर-धनुष राम लला को भेंट की गयी.

रामलला अपने दिव्य स्वरूप में श्रीराम जन्मभूमि के नये मन्दिर में प्रतिष्ठित हो रहे हैं. इसके ठीक एक दिन पहले रविवार को  के महावीर मन्दिर न्यास ने राम मन्दिर निर्माण में अपने 10 करोड़ के योगदान का वचन पूरा किया. महावीर मन्दिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेन्द्र मिश्र को दो करोड़ रुपये की अंतिम किश्त का चेक सौंप दिया. आचार्य किशोर कुणाल ने 9 नवंबर 2019 को श्रीराम जन्म भूमि के पक्ष में सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आते ही महावीर मन्दिर की ओर से राम मन्दिर निर्माण में 10 करोड़ रुपये की सहयोग राशि देने की घोषणा की थी.आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि 2 अप्रैल 2020 को जिस दिन श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का खाता खुला था, उसी दिन महावीर मन्दिर की ओर से दो करोड़ रुपये की पहली किश्त दी गयी थी. वर्ष 2021, 2022 और 2023 में लगातार इतनी राशि दी जाती रही. अब अंतिम किश्त के रूप में 2 करोड़ रुपये की सहयोग राशि दी गयी. आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि किसी एक संस्था के द्वारा अयोध्या में रामलला के मन्दिर निर्माण में सहयोग के तौर पर 10 करोड़ रुपये देनेवाला महावीर मन्दिर देश का पहला संस्थान है.अयोध्या के अमावा राम मन्दिर न्यास की ओर से श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेन्द्र मिश्र को सोने का तीर-धनुष भेंट किया गया. अमावा राम मन्दिर ट्रस्ट के अध्यक्ष के. परासरन की ओर से उनके पौत्र विष्णु परासरन और सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने स्वर्ण जड़ित तीर-धनुष भेंट किया. अमावा राम मन्दिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का धनुष जिसे कोदंड के नाम से जाना जाता है, उसे चेन्नई में बनवाया गया है. 2.5 किलो वजन का यह तीर-धनुष तांबे के बेस पर स्वर्ण जड़ित है. आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि अमावा राम मन्दिर के शिखर के लिए स्वर्ण जड़ित कलश बनवाया गया. इसके लिए भारत सरकार के उपक्रम एमएमटीसी से सोना खरीदा गया था. उसमें से कलश निर्माण के बाद शेष बचे सोने से स्वर्ण जड़ित कोदंड तैयार किया गया है.