बिहार की डॉ दर्शनी प्रिय को मिला 2024 का काका साहेब कालेलकर सम्मान

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20 जनवरी 2024 को गांधी हिंदुस्तानी साहित्य सभा, नई दिल्ली में काका कालेलकर और विष्णु प्रभाकर की स्मृति में डॉ दर्शनी प्रिय को यह सम्मान प्रदान किया गया. सन्निधि संगोष्ठी के 100वें आयोजन शतक संगति कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विश्व प्रसिद्ध कवि सुरेंद्र शर्मा थे.

 बिहार की रहनेवाली डॉ दर्शनी प्रिय को पत्रकारिता और लेखन में सराहनीय योगदान के लिए काका कालेलकर राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित किया गया. 20 जनवरी 2024 को गांधी हिंदुस्तानी साहित्य सभा, नई दिल्ली में काका कालेलकर और विष्णु प्रभाकर की स्मृति में डॉ दर्शनी प्रिय को यह सम्मान प्रदान किया गया. सन्निधि संगोष्ठी के 100वें आयोजन इस शतक संगति कार्यक्रम में मुख्य अतिथि विश्व प्रसिद्ध कवि सुरेंद्र शर्मा थे, जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार मुकेश भारद्वाज ने की. विशिष्ठ अतिथि के रूप में डीयू के डॉ. गोपेश्वर सिंह मौजूद रहे. कार्यक्रम का संचालन प्रसून लतांत व अर्चना प्रभाकर ने किया.डॉ दर्शनी प्रिय महिला और समाजिक मुद्दों पर विशेष कॉलम लेखन से जुड़ी हैं. वो महिला अधिकारों और मानव समता के लिए गैर सरकारी संस्थानों के साथ मिलकर लगातार काम कर रही है. सार्वजनिक मंचों से वे उनके हक और अधिकारों की पैरोकारी में भी करती हैं. डॉ दर्शनी प्रिय राष्ट्रीय स्तर की दैनिक पत्र पत्रिकाओं और दिल्ली प्रेस की पत्रिकाओं में निरंतर लेखन कार्य कर रही हैं. उनके हजार से भी अधिक साहित्यिक आलेखों का प्रकाशन हो चुका है.डॉ दर्शनी प्रिय राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों, परिचर्चाओं और परिसंवादों में साझेदारी के अनुभव के साथ साथ अनेक साहित्यिक सभाओं में भी संबोधन कर चुकी हैं. चार से भी अधिक पुस्तकों के अनुवाद का कार्य उनकी उपलब्धि से जुड़ा है. वर्तमान में वे पद्म श्री सम्मान प्राप्तकर्ताओं के जीवन से संबंधित पुस्तक और वीडियो संकलन का महती कार्य रही है. इस विशेष श्रृंखला के ज़रिए वे देश भर के सम्मानित विशिष्टजनों को एक मंच पर जोड़ रही है, जिसकी चहुंओर प्रशंसा हुई है.कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रसिद्ध हास्य कवि सुरेंद्र शर्मा ने कहा कि सन्निधि संगोष्ठी का आयोजन साहित्य की विभिन्न विधाओं से जुड़े विभूतियों को सम्मानित करने के लिए किया जाता रहा है. आयोजन समिति ने सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि इन कार्यक्रमों के जरिए काका कालेलकर और विष्णु प्रभाकर के विचारों के आगे बढ़ाया जा रहा है. साथ ही इनके मार्गदर्शन के लिए अपने समय के स्थापित साहित्यकारों को भी आमंत्रित किया जाता रहा है. इस तरह पिछले 100 संगोष्ठियों में नये और जाने माने साहित्यकारों ने शिरकत की है. ये इस आयोजन की खास बात है.