इन 8 वजहों से विश्व प्रसिद्ध है बिहार, जानकर आप को भी होगा अपनी संस्कृति पर गर्व

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भारत के उत्तर पूर्व में बिहार है. बिहार का इतिहास 600 ईसा पूर्व पुराना है. सम्राट अशोक का जन्म बिहार के पाटलीपुत्र जो अब पटना के नाम से मशहूर है. इसके अलावा भगवान बुद्ध को ज्ञान बिहार में ही प्राप्त हुआ था. समय के साथ पटना का नाम पाटलिग्राम, कुसुमपुर, अजीमाबाद हुआ.


 (फाइल फोटो)

 (फाइल फोटो)

भारत के उत्तर पूर्व में बिहार है. बिहार का इतिहास 600 ईसा पूर्व पुराना है. सम्राट अशोक का जन्म बिहार के पाटलीपुत्र जो अब पटना के नाम से मशहूर है. इसके अलावा भगवान बुद्ध को ज्ञान बिहार में ही प्राप्त हुआ था. समय के साथ पटना का नाम पाटलिग्राम, कुसुमपुर, अजीमाबाद हुआ. इस राज्य में मौर्य सामाज्य और बौद्ध धर्म का विकास हुआ.  
 
1. जैन धर्म और बौद्ध का जन्मस्थान बिहार ही है

बौद्ध धर्म और जैन धर्म भारत के दो प्राचीन धर्म हैं जिनकी जन्मस्थली मगध है और दोनों ही धर्म आज भी फल-फूल रहे हैं. प्रायः जैन धर्म के प्रवर्तक महावीर स्वामी तथा बौद्ध धर्म के प्रवर्तक गौतम बुद्ध दोनों समकालिक माने जाते हैं. दोनों धर्मों की बहुत सी मूलभूत बातें समान हैं.  दोनों की धार्मिक शब्दावली एवं नैतिक सिद्धान्त समान हैं किन्तु उन पर अलग-अलग तरह से बल दिया गया है. दोनों ही श्रमण परम्परा वाले धर्म हैं और दोनों का विश्वास है कि जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति पाना सम्भव है. किन्तु इनके दर्शनों में अन्तर है- मध्यमार्ग बनाम अनेकान्तवाद; जीव बनाम अत्त अनत्त. भारत का सबसे पुराने हिंदू मंदिरों में से एक मुंडेश्वरी मंदिर बिहार में ही है. यह मंदिर पंवरा पहाड़ी के शिखर पर स्थित है. इसकी ऊंचाई लगभग 600 फीट है. साल 1812 से लेकर साल 1904 तर ब्रिटिश यात्री आर.एन. मार्टिन, फ्रांसिस बुकानन और ब्लाक ने इस मंदिर का भ्रमण किया था. पुरातत्वविदों के अनुसार यहां के शिलालेख 389 ईस्वी के हैं.

2. सबसे पुराना हिंदू मंदिर


भारत का सबसे पुराने हिंदू मंदिरों में से एक मुंडेश्वरी मंदिर बिहार में ही है. भारत के प्राचीन मंदिरों मे शुमार यह मंदिर कैमूर पर्वत की पवरा पहाड़ी पर 608 फीट ऊंचाई पर स्थित है. इस मंदिर में बलि की प्रकिया थोड़ी अलग है. मुंडेश्वरी मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां पशु बलि की सात्विक परंपरा है. यहां बलि में बकरा चढ़ाया जाता है, लेकिन उसका जीवन नहीं लिया जाता. कहते हैं कि चण्ड-मुण्ड नाम के असुर का वध करने के लिए देवी यहां आई थीं तो चण्ड के विनाश के बाद मुण्ड युद्ध करते हुए इसी पहाड़ी में छिप गया था. यहीं पर माता ने मुण्ड का वध किया था. इसलिए यह माता मुंडेश्वरी देवी के नाम से प्रसिद्ध हैं. पहाड़ी पर बिखरे हुए पत्थर और स्तम्भ को देखने से लगता है कि उनपर श्रीयंत्र, कई सिद्ध यंत्र-मंत्र उत्कीर्ण हैं.


3. गुरु गोविंद सिंह का जन्म स्थान


सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह का जन्म बिहार के पटना में हुआ था. यहां पर तख्ता श्री पटना साहिब सिख धर्म से जुड़ा एक ऐतिहासिक दर्शनीय स्थल है. इसे महाराजा रणजीत सिंह ने बनवाया था.


4. ज्ञान का केंद्र रह चुका है बिहार


प्राचीन विश्वविद्यालय में से एक नालंदा  विश्वविद्यालय बिहार में ही है. बौद्ध धर्म से जुड़े अनेक देशों के छात्र यहां पढ़ाई करते थे.  आज यह विश्वविद्यालय UNESCO की विश्व धरोहर स्थल की लिस्ट में शामिल है.


5. देश को सबसे अधिक IAS देने वाला दूसरा राज्य


बिहार को अक्सर मजदूरों का राज्य माना जाता है. देश के हर राज्यों में बिहार के मजदूर काम करते हुए मिल जाते हैं. लेकिन यह भी सत्य है कि बिहार ऐसा दूसरा राज्य है जहां से सबसे अधिक बच्चें IAS क्वालीफाई करते हैं. बिहार को IAS प्रोडक्ट फैक्ट्री माना जाता है. हालांकि पहले बिहार पहला राज्य था लेकिन अब कुछ समय से उत्तर प्रदेश पहला राज्य है.

6. वैदिक काल से मनाए जाने वाला पर्व छठ


छठ पर्व एकमात्र ऐसा अवसर है जहां उगते सूर्य के साथ-साथ अस्त होते हुए सूर्य की भी पूजा की जाती है. बिहार का प्रमुख त्योहार छठ पूजा है. यह त्योहार प्राचीन वैदिक काल से मनाया जा रहा है. छठ पूजा छठी मईया और भगवान सूर्य को समर्पित है. यह पूजा 4 दिनों तक चलता है. इस दौरान महिलाएं व्रत रहती हैं. छठ पूजा बिहार की संस्कृति और प्रतिष्ठा का प्रतीक है.


7. नांलदा पुस्तकालय


नालंदा पुस्तकालय ने विशेष रूप से ईरान, कोरिया, चीन, जापान और ग्रीस के लोगों को आकर्षित किया. यह दुनिया की सबसे बड़ी पुस्तकालयों में से एक था. प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना गुप्त काल के दौरान पांचवीं सदी में कुमारगुप्त प्रथम ने किया था. इतिहास के अनुसार, सन् 1193 में बख्तियार खिलजी के आक्रमण के बाद इसे नेस्तनाबूत कर दिया गया था. ऐसा माना जाता है कि यह लाइब्रेरी इतनी बड़ी थी कि यह तीन महीने तक जलता रहा.



8. महाबोधि मंदिर


देश के पूर्वोत्तर भाग में स्थित भारतीय राज्य बिहार के बोधगया में बना महाबोधि मंदिर एक पवित्र बौद्ध धार्मिक स्थल है. यह वही स्थान है जहाँ पर महात्मा गौतम बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था. यह मंदिर भारत के सबसे पहले बौद्ध मंदिरों में से एक है. इस मंदिर की बनाबट में द्रविड़ वास्तुकला शैली की झलक साफ़ दिखाई देती है. हर साल बौद्ध धर्म के अनुयायी प्रसिद्ध महाबोधि मंदिर के दर्शन के लिए देश-विदेश से बोध गया आते हैं. महाबोधि मंदिर का निर्माण बोध गया में उस स्थान पर किया गया है, जहां पर भगवान बुद्ध को पहला ज्ञान प्राप्त हुआ था. महात्मा बुद्ध का संबंध 5वीं और 6वीं शताब्दी ईसापूर्व से है. इस मंदिर का इतिहास काफी रोचक है, जो मौर्य शासक सम्राट अशोक से जुड़ा है.