आज ठाठ से विराजेंगे अवध बिहारी

Total Views : 14
Zoom In Zoom Out Read Later Print

अब से कुछ घंटों के बाद राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान आरंभ हो जाएगा। सभी मेहमानों का पहुंचना जारी है। रामलला के मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की विधि आज दोपहर 12 बजकर 20 मिनट से शुरू होगी। प्राण प्रतिष्ठा अभिजीत मुहूर्त और मृगशिरा नक्षत्र के शुभ संयोग में होगी। आज प्रभु राम की जन्मस्थली अयोध्या में रामलला मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हो रही है। जिसके बाद अयोध्या का राम मंदिर सभी के आर्कषण और आस्था का केंद्र रहेगा।

 भगवान राम अपने जीवन में वे जहां-जहां गए वहां कोई न कोई मंदिर जरूर है। अयोध्या, चित्रकूट और रामेश्वरम के अलावा की मंदिर हैं जहां प्रभु राम का संबंध है।  भगवान राम के प्राचीन मंदिर

-अयोध्या (उत्तर प्रदेश)

- चित्रकूट (उत्तर प्रदेश)

-रामेश्वरम (उत्तर प्रदेश)

-त्रिप्रायर राम मंदिर( केरल)

-काला राम मंदिर( महाराष्ट्र)

- सीता रामचंद्रस्वामी मंदिर (तेलंगाना)

- रामटेक मंदिर (महाराष्ट्र)

-रामास्वामी मंदिर(तमिलनाडू)

आज पूरा देश राममय है और हो भी क्यों न। क्योंकि 22 जनवरी 2024 को वर्षों के बाद अयोध्या में भगवान राम के बाल स्वरूप राम लला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का धार्मिक अनुष्ठान किया जा रहा है। इस मौके पर देशभर के सभी मंदिरों और घरों में भगवान राम की विशेष रूप से पूजा आराधना का कार्यक्रम चल रहा है। भगवान राम की पूजा रामायण और रामचरित मानस के पाठ के बिना अधूरा माना जाता है। रामचारित की चौपाइयों में प्रभु राम के जीवन से संबंधित की बातों को उल्लेख किया गया है। ऐसे में रामचारित मानस का पाठ अवश्य करना चाहिए। क्योंकि रामचारित मानस की चौपाइयों में हर परेशानियों का हल बताया गया है।अब से कुछ पलो के बाद सभी राम भक्तों की इच्छाएं पूरी होने वाली है। दोपहर अभिजीत मुहूर्त में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान आरंभ हो जाएगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मूर्ति के दर्शन और पूजा-पाठ करने से पहले प्राण प्रतिष्ठा क्यों जरूरी माना गया है? हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार किसी भी मंदिर में देवी-देवता की मूर्ति स्थापित करने से पहले उस मूर्ति की विधि-विधान के साथ प्राण प्रतिष्ठा की जानी जरूरी होती है। प्राण प्रतिष्ठा का मतलब उस मूर्ति में प्राण की स्थापना करना यानी जीवन शक्ति को स्थापित करके मूर्ति को देवता के रूप में बदला जाता है।  मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा के लिए वैदिक मंत्रों के उच्चारण और अनेकों तरह की पूजा विधियों के द्वारा उस मूर्ति में प्राण को स्थापित किया जाता है। इसी वैदिक परंपरा को प्राण प्रतिष्ठा कहते हैं। मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा होने के बाद मूर्ति में भक्तों की प्रार्थना स्वीकार करने वरदान देने की शक्ति आ जाती है। किसी भी मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के कई चरण होते हैं, जिसे पूरा करके मूर्ति को स्थापित किया जाता है। प्राण प्रतिष्ठा के विभिन्न चरणों को अधिवास कहा जाता है। जैसे जलाधिवास, अन्नाधिवास, फलाधिवास, धृताधिवास आदि। मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का वर्णन कई पुराणों और धर्म गंथ्रों में किया गया है। अब से कुछ ही घंटों के इंतजार के बाद राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान आरंभ होगा। करीब 500 वर्षों की तपस्या के बाद राम मंदिर में राम लला विराजमान होंगे। मंत्रोचार और वैदिक रीति-रिवाजों से राम मंदिर में प्रभु राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार त्रेया युग में भगवान श्रीराम का जन्म अयोध्या में हुआ था। भगवान राम को विष्णु का 7वां अवतार माना जाता है।